हम भी जानते हैं हंसना Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps February 10, 2021 हम भी जानते हैं हसना हम भी जानते हैं हंसना,मगर मजबूर है बच्पनादो वक़्त की रोटी की खातिर,हंसना हो जाता है सपना ।।विचारो की बौछारे उठती, मस्तिस्क की नस नस में दर दर ।कुण्ठाये मेरा गला घोटती इन चारदिवारी के अंदर ।। Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps Comments
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